साज़िश वो रचते है जिन्हे दुनिया जितनी हो, कि वह अनिश्चित होता है उसके लिए यह सब आसान होता है
वर्तमान में, हम समाज की स्थितियों और साजिश में विश्वास के बीच की कड़ी बंधी होती हैं
सिद्धांत आम धारणाओं के विपरीत, साज़िश के सिद्धांतों में विश्वास कि अहम भूमिका होती है ।
मानव इतिहास में विश्वास महत्वपूर्ण कडी होती है। साज़िश पहले ही घटनाओं का वर्णन करा देती हैं
प्रभावशाली और तीव्र सामाजिक परिवर्तन नए आयाम को खोलता है
निम्म लोगों के समूहों का अस्तित्व तो होता है साज़िश के सिद्धांतों में विश्वास को बढ़ावा मिलता है। जिसमे हम
मनोवैज्ञानिक साहित्य की समीक्षा करते है यह मामला क्यों है। साक्ष्य बताते हैं जिसमे लोगो कि प्रतिकूल भावनाएँ जुडी होती है
जब लोग संकट में अनुभव करते हैं भय, अनिश्चितता, और नियंत्रण से बाहर होने की भावना को महसूस करते हैं तो
स्थिति को समझने कि प्रेरणा मिलती है। साज़िश को समझने की संभावना बढ़ जाती है।
फिर स्थितियो को अपने प्रतिकूल बनाने कि समझ बढ़ जाती हैं फिर साज़िश के सिद्धांत ऐतिहासिक नज़र आने लगते हैं ।
यह सांस्कृतिक भावना से फैल सकता है। हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि साज़िश के सिद्धांत विशेष रूप से बढ़ने लगते हैं
हम उस भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो सामाजिक संकट की स्थितियों में लोगों की भूमिका अहम बताती है
लोगों को कैसे समझ में आता है साज़िश के सिद्धांतों और इसके निम्म विचारो पर विश्वास करने की प्रवृत्ति, याद है, पिछली घटनाओं का संकलन है। हम विशेष रूप से जांच करते हैं
सिद्धांतों में विश्वास को बढ़ावा दिया जाता है । संकट की घटनाओं के बारे में सोचकर अंतर्दृष्टि को एकीकृत करते हैं
मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ साजिश और सिद्धांतों को प्रेरित किया गया है
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