आपके पास अंतर मंन की शांति होती है, तब आप विशेष रुप से जो भी काम करते हो। उसमें निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। जब आप भीतर से अधिक मौन होते हो, उतने ही ज्यादा महान आपके विचार और कार्य हो जाते हैं।
हम सबके भीतर खुशियों का सागर है। प्रेम हमारे अस्तित्व का मूल तत्त्व है। यह हमारा अपना मूल स्वभाव है। हम अपने व्यस्त जीवन की उलझनों में इस कदर बह जाते हैं कि मन पर बहुत बड़ा बोझ डाल देते हैं। हम अपने मूल स्वभाव से दूर हो जाते हैं। यह समय की आनिवार्यता है कि हम अपने मन को नकारात्मकता से दूर रखें। स्वयं को शांत करे और तनाव व अवसाद से मुक्त हो जाएं।
ध्यान बहुत सरल मार्ग है जो गहरे ज्ञान के साथ-साथ उसी समय पर जागरुक रहने भी देता है। यह एक ऐसा कौशल है जो मन को शांत करता है और आपको मन के भीतर स्वयं से संपर्क कराता है जो परेशान हो जाते हैं। वह जल्दबाजी में निर्णय लेने लगते हैं जबकि हर निर्णय लेने से पहले शांति से उस की गणना करना और तर्क संगत निर्णय लेना आवश्यक होता है। ध्यान हमें शक्ति देता है हर परिस्थितियों को उसी प्रकार स्वीकार करना , जिस प्रकार वह हैं। हम जागरूकता से परिस्थितियों पर नियंत्रण व्यक्त करने लगते हैं। हम अज्ञानता से अपने निर्णय नहीं लेते तथा ऐसा कुछ नहीं बोलते जिससे बाद में पछताना पड़े।
ध्यान से हम अपने अंतर मन को स्थिर कर सकते हैं | अशांत मन में ज्यादातर विचार उथल-पुथल मचाते रहते हैं, जिसके कारण प्राण शक्ति कम हो जाती है
अंतर मन स्वयं को भीतर से शक्तिशाली बनाता है, और हम जितने अत्यधिक शक्तिशाली होंगे उतना ही किसी भी काम को करना आसान हो जायेगा। फिर आपकी आंतरिक शांति आपकी शक्ति, ऊर्जा, ज्ञान, समझ में वृद्धि करती है
0 Comments