जब भी व्यक्ति नीती सोचता है उसके पीछे सही गलत नहीं सोचता । कि वह अनिश्चित होता है उसके लिए यह सब आसान है
इसलिए वह नीती रचता है । जहाँ से हम सभी उस नीती में फस जाते है । यहाँ वही व्यक्ति निकल पाता है। जिसकी निति मजबूत होती है । आपके पास मौजूद हर विचार के साथ ईश्वरीय बुद्धिमत्ता के साथ जीने का एक तरीका होता है। कुंजी उस दिव्य स्रोत के संपर्क में है जिसके भीतर प्रेरणा है। दिन और दिन बाहर रहना, हर विचार को देखना और यह जानना कि आपने आत्मा को छोड़ दिया है जब आपके पास एक ऐसा विचार होता है जिसमें हर कोई शामिल नहीं होता तो वह नीती कहलाता है । जब आप अहंकार केंद्रित हो जाते हैं तब वह अहंकार आपको नीती रचने के लिए प्रेरित करता रहता है ।
प्रेरित होने के बाद वह खुद को चाणक्य के सामान समझता है, अहंकारी नीती , हर वक़्त भाग्य नहीं बनती । चीजें कभी-कभी विरुद्ध भी काम करती हैं, यदि आप महसूस करने में असीमित हैं और आपके भीतर जो कुछ भी हो रहा है आप सही मानते है तो आप गलत है
आप परमात्मा की एक आदर्श रचना हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है। जो कभी सामने खुलकर नहीं आये । जिसे आप अपनी निति से दबाने की इक्छा तो रख सकते है । लेकिन उस ज्वालामुखी को फूटने से नहीं रोक सकते । नीती बनाने के लिए सब कुछ तो होता है। लेकिन नीती बनाने वाले पर विश्वास नहीं होता । किसी भी चीज़ के लिए खुद पर विश्वास कराना जरूरी होता है ।
एक नीती पूर्ण जीवन का रहस्य वही है विश्वास कि ज्योत पैदा करना। आप एक दिव्य स्रोत हैं नीती में असीमित ऊर्जा होती है। हम एक आध्यात्मिक अनुभव वाले आध्यात्मिक प्राणी हैं, न कि आध्यात्मिक अनुभव वाले मनुष्य। सागर की एक बूंद सागर नहीं है, लेकिन छोटी बूंद में समान गुण और सार है। जिस प्रकार महासागर होता हैं और सब को अपने अधीन रखता हैं उसी प्रकार मनुष्य की निति होनी चाहिए । जिसके स्वरुप सारे गुण निहित होते है।
एक अहंकार तब विकसित होता हैं। जब नियमो का उलंघन होना शुरु हो जाता है । इसलिए अपने मन को शांत करो, ध्यान करो, और अपने उच्च स्वरुप को जानो।
जब आप उच्च स्वरुप को जान जाते हैं, तब गलतियों की गुंजाइस नहीं होती । तो आप अपने आप को एक बड़ा व्यक्ति होने की खोज करते हैं जो आपने कभी सोचा नहीं था। महसूस करें कि आपके विचार ऊर्जावान हैं। यही विचार आपकी नीती को कुशल बनाते हैं ।
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